तुम मुझे यूँ देखती हो तो
एक झरना
बेआवाज गिरने लगता है
और
फूलों की पंखुरियाँ बिछने लगती हैं
एक ताल
जिसे मैं दिल कहता हूँ
महकता हुआ
भर जाता है
तुम्हारे प्यार से
तुम मुझे यूँ देखती हो तो
एक लम्हा
बेखबर सा, ठिठक जाता है
और
मेरी साँसों में अंकित हो जाता है
एक गहरा चुम्बन
एक किताब
जिसे में जीवन कहता हूँ
लिखना चाहता हूँ
ऐसे ही लम्हों से
तुम मुझे यूँ देखती हो तो
एक धूप उतरती है
मैं परछाई सा
मिटने लगता हूँ
और देखता हूँ तुम्हें
अपने भीतर झांकते हुए
एक घर
जिसे मैं वजूद कहता हूँ
तुम्हें सौंपना चाहता हूँ
बस, तुम आओं
किसी भी दिन
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