एक परिंदा
हांफता लौटा है
जगह जगह जिसने चूमा था आसमां
घोंसले में जगह कम है
पर अपनी तो है
यही कह कर इस सन्नाटे ने
मुझे दी है पनाह
और उड़ेल दिया है मेरे भीतर
मौन सिर्फ मौन
दरवाजे भीतर से खुलते हैं
तुम आना निशब्द
ऐसे ही इसी मौन में लिपटे
एक ठण्डी कब्र
तुम्हारे इन्तजार में खोदी है
पर हाँ,
अब की बार
यह मत कहना कि तुम आसमां हो
इस ख़ामोशी में
बहुत से पंख गिरे पड़े हैं
खूब समझते हैं
आसमां के छलावों को
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